महात्मा गाँधी क्यों Dominion State के पक्ष में थे..?
देश के दो टुकड़े क्यों हुए..?
इन दोनों सवालों का जवाब एक ही है –
देश के दो टुकड़े क्यों हुए..?
इन दोनों सवालों का जवाब एक ही है –
अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना की बिमारी कुछ सालों से नहीं बल्कि देश की आज़ादी से पहले से थी...
जहाँ एक तरफ कुछ मुसलमान देश के लिए बलिदान दे रहे थे वहीँ मुसलमानों का एक तबका यह सोचता था कि - “हिन्दुओं पर उन्होंने 800 साल तक राज किया (जो कि क्रूरतम था)... इसलिए अंग्रेजों के जाने के बाद जब देश की सरकार हिन्दुओं के हाथों में होगी.. तो वे हिन्दुओं के राज में सुरक्षित नहीं रहेंगे...“
इसीलिए गाँधी Dominion State के पक्ष में थे, जिससे आजादी मिले पर हिंदुस्तान की सरकार पर अंकुश रहे...
सुभाष बोस के लाख कहने पर भी गाँधी पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाने को तैयार न थे..
लेकिन जब भगत सिंह ने कचहरी से पूर्ण स्वराज्य की मांग के लिए आवाज़ बुलंद की, तब गाँधी को देश का विश्वास न खोने के डर से पूर्ण स्वराज्य की मांग का एलान करना पड़ा..
तत्पश्चात कुछ मुस्लिम मौलवियों और सियासतदारो ने हिन्दुओ के राज के प्रति आशंकित होने की भावना को पुरे देश में आम मुसलमान तक जहर की भांति फैलाया और पाकिस्तान की मांग को तेज किया.. नतीजा देश में दंगे हुए और देश के दो टुकडे हुए...
जो मुसलमान इस आशंका और भय से अछूते थे वो भारत में ही रह गए और बाकि पाकिस्तान चले गए...
सरदार पटेल का कट्टर मुसलमानो के प्रति रुख सख्त था इसीलिए गांधी ने उनकी जगह नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया....
जिसका खामियाजा देश आजतक भुगत रहा है....
जहाँ एक तरफ कुछ मुसलमान देश के लिए बलिदान दे रहे थे वहीँ मुसलमानों का एक तबका यह सोचता था कि - “हिन्दुओं पर उन्होंने 800 साल तक राज किया (जो कि क्रूरतम था)... इसलिए अंग्रेजों के जाने के बाद जब देश की सरकार हिन्दुओं के हाथों में होगी.. तो वे हिन्दुओं के राज में सुरक्षित नहीं रहेंगे...“
इसीलिए गाँधी Dominion State के पक्ष में थे, जिससे आजादी मिले पर हिंदुस्तान की सरकार पर अंकुश रहे...
सुभाष बोस के लाख कहने पर भी गाँधी पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाने को तैयार न थे..
लेकिन जब भगत सिंह ने कचहरी से पूर्ण स्वराज्य की मांग के लिए आवाज़ बुलंद की, तब गाँधी को देश का विश्वास न खोने के डर से पूर्ण स्वराज्य की मांग का एलान करना पड़ा..
तत्पश्चात कुछ मुस्लिम मौलवियों और सियासतदारो ने हिन्दुओ के राज के प्रति आशंकित होने की भावना को पुरे देश में आम मुसलमान तक जहर की भांति फैलाया और पाकिस्तान की मांग को तेज किया.. नतीजा देश में दंगे हुए और देश के दो टुकडे हुए...
जो मुसलमान इस आशंका और भय से अछूते थे वो भारत में ही रह गए और बाकि पाकिस्तान चले गए...
सरदार पटेल का कट्टर मुसलमानो के प्रति रुख सख्त था इसीलिए गांधी ने उनकी जगह नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया....
जिसका खामियाजा देश आजतक भुगत रहा है....
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