हम सभी जानते हैं कि हमारे हाथों में आध्यात्मिक शक्ति होती है। यदि आपने इस शक्ति को महसूस नहीं किया तो आप यह शक्ति का अनुभव अभी कर सकते हैं - दोनों हाथ की हथेलियां को पास लाएं और दोनों में करीब 1 इंच दूरी रखें। अब दोनों हथेलियों को हल्का-हल्का आगे पीछे कीजिये, कुछ ही देर में आप दोनों हथेलियों के बीच में एक शक्ति को अनुभव करेंगे। यही आध्यात्मिक शक्ति है जो कि हमारे हाथों से और हमारी आँखों से निकलती है।
यह शक्ति हमारे शरीर के चारों ओर एक आभा मंडल (Aura) के रूप में होती है। प्रत्येक व्यक्ति के आभा मंडल में सकारात्मक और नकारात्मक उर्झा दोनों होती है, जो कि व्यक्ति विशेष के तामसिक अथवा सात्विक भाव, कर्म, आहार, जीवन शैली, संगत आदि अनेक कारणों से निर्मित होती है।
जब हम किसी भी व्यक्ति से हाथ मिलाते हैं तब दोनों की हथेलियों के मेल से इस आध्यात्मिक उर्झा का आदान प्रदान होता है।
अनजाने में जब आप किसी व्यक्ति की नकारात्मक उर्झा को अवशोषित करते हैं तब वह उर्झा सीधे आपके मेरुदंड पर सातों चक्रो पर आघात करती है, जिससे इन चक्रों के बीच उर्झा का प्रवाह अवरुद्ध होता है, और व्यक्ति के स्वास्थ्य, मन, बुद्धि और कर्म-फल क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
इसलिए हाथ मिलाने की विदेशी संस्कृति को त्याग कर हमारी प्राचीन प्रथा - दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार कर अभिवादन करने की संस्कृति को अपनाइये।
नमस्कार का अर्थ है जो ईश्वर मुझमे है वही तुझमे है और मै उसी ईश्वर को नमन करता हूँ।
Ref: http://www.spiritualresearchfoundation.org/spiritualresearch/spiriutalscience/sattvik-living/handshake
यह शक्ति हमारे शरीर के चारों ओर एक आभा मंडल (Aura) के रूप में होती है। प्रत्येक व्यक्ति के आभा मंडल में सकारात्मक और नकारात्मक उर्झा दोनों होती है, जो कि व्यक्ति विशेष के तामसिक अथवा सात्विक भाव, कर्म, आहार, जीवन शैली, संगत आदि अनेक कारणों से निर्मित होती है।
जब हम किसी भी व्यक्ति से हाथ मिलाते हैं तब दोनों की हथेलियों के मेल से इस आध्यात्मिक उर्झा का आदान प्रदान होता है।
अनजाने में जब आप किसी व्यक्ति की नकारात्मक उर्झा को अवशोषित करते हैं तब वह उर्झा सीधे आपके मेरुदंड पर सातों चक्रो पर आघात करती है, जिससे इन चक्रों के बीच उर्झा का प्रवाह अवरुद्ध होता है, और व्यक्ति के स्वास्थ्य, मन, बुद्धि और कर्म-फल क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
इसलिए हाथ मिलाने की विदेशी संस्कृति को त्याग कर हमारी प्राचीन प्रथा - दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार कर अभिवादन करने की संस्कृति को अपनाइये।
नमस्कार का अर्थ है जो ईश्वर मुझमे है वही तुझमे है और मै उसी ईश्वर को नमन करता हूँ।
Ref: http://www.spiritualresearchfoundation.org/spiritualresearch/spiriutalscience/sattvik-living/handshake